Thursday, July 19, 2012

परिचय बुद्ध की शिक्षा से

इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे उस सबसे बड़े शिक्षक के बारे में जिसने इस अस्त होते भारत को एक नयी ज्योति दिखाई और भारत को अपने ज्ञान के सहारे उस मुकाम तक ले गया जहाँ उसे सोने की चिड़िया का दर्जा दिया गया।


सिद्धार्थ गौतम नाम का वह व्यक्ति जिसने बोधी प्राप्त की और आगे चलकर बुद्ध के नाम से प्रसिद्द हुआ.आज से लगभग 2500 वर्ष पहले बुद्ध ने अपनी शिक्षा का प्रसार किया. उस समय का भारत धर्म की अंधी मान्यताओं की बेड़ियों में जकड़ा पड़ा था . बुद्ध ने अपनी शिक्षा से इसे ज्ञान का एक नया आयाम दिया. उनकी शिक्षा एक चक्रवात की तरह फैली जिसने पहले पुरे भारत और फिर पुरे एशिया को ही अपने रंग में रंग दिया। इसके 200 साल बाद चाणक्य और चन्द्रगुप्त का आगमन हुआ। फिर नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय खोले गए। ये सारे बुद्ध की ही शिक्षा देते थे । हर व्यक्ति इस बात को स्वीकार करेगा की यही भारत का स्वर्णिम युग था।


लोग अक्सर ही सोचते हैं की बुद्ध की शिक्षा ने एक संप्रदाय की स्थापना की. लेकिन ऐसा सोचना बिलकुल भी गलत है। बुद्ध सम्प्रदायवाद के खिलाफ थे। वे पूजा के खिलाफ थे, मूर्तियों के खिलाफ थे , किसी इश्वर की कृपा के खिलाफ थे। उनकी नज़रों में हर वह व्यक्ति जो पैदा हुआ बराबर था, जातपात से ऊपर. हर व्यक्ति के पास इतनी शक्ति है की वह अपना भला खुद कर सकता है,उसे किसी इश्वर के सामने गिडगिडाने की जरूरत नहीं है। मेरी नज़र में आज हर पढ़ा लिखा इंसान यही सोचता है।


आज बुद्ध की कई शिक्षाएं हमारे जीवन का इतना अभिन्न हिस्सा बन चुकी है की हम कभी सोचते ही नहीं की यह किसने दिया। कुछ असामाजिक लोगों के कारन और मुख्यतः हमारी अज्ञानता के कारन हमसे उनकी शिक्षा खो गयी. लगभग 700 सालों तक जलने के बाद दिया फिर बुझ गया. यह इसी क्षति का असर है की आज हम खुद बुद्ध को ही भगवान् का दर्ज़ा देकर उनकी पूजा करते हैं और मूर्तियाँ बनाते हैं. आज तो बुद्ध के नाम का एक संप्रदाय भी है। कितना हास्यास्पद लगता है।


आज हमें फिर से उस शिक्षा को पाने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसे व्यर्थ न जाने दें। पहले हम बुद्ध के जीवन को समझने का प्रयास करेंगे फिर उनकी शिक्षाओं को। बहूत सारे भाई बहन यह सोच रहे होंगे की मैं बुद्ध के सम्प्रदायवाद का प्रचार कर रहा हूँ। लेकिन मैं यह कहना चाहूँगा की मैं ऐसा कतई नहीं करना चाहता. ज्ञान कभी संप्रदाय के बाड़े में नहीं बंधा होता. चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लिम हो या बोद्ध हो, ज्ञान हर किसी के लिए एक ही होता है। किसी व्यक्ति को बुद्ध की शिक्षा के लिए अपना धर्म नहीं बदलना होता। यदि हम धर्म ही बदलते रहेंगे तो शिक्षा के लिए समय कहाँ से मिलेगा. फिर भी यदि कोई भाई या बहन ऐसा सोचता हो की इस शिक्षा से उसके धर्म पर कोई असर पड़ता हो तो वह मेरे ब्लॉग को न पढ़े. मैं उसके विचारों का भी दिल से स्वागत करता हूँ।


जो इस शिक्षा को समझना चाहते हैं एवं आत्मबोध और आत्मसंतुष्टि से परिचय करना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले इन तिन रत्नों की शरण जाना होगा। ऐसा करने के लिए आप इन तिन पंक्तियों को तिन तिन बार बोलकर दोहराएँ.
बुद्धं शरणम् गच्छामि
धम्मम शरणम् गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि।


मैं बुद्ध की शरण जाता हूँ लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं की मैं सिद्धार्थ गौतम के शरण जाता हूँ। बुद्ध ने यह साबित किया की हममे से हर व्यक्ति आत्मबोध प्राप्त कर सकता है क्यूंकि हर किसी के भीतर एक बोधी और एक बुद्ध छुपा है,जागृत होने की क्षमता छुपी है। मैं उसकी शरण जाता हूँ।
धम्म वह ज्ञान है जो हमें अपने बोधी को सिंचित कर एक बुद्ध बनने में मदद करता है। यह ज्ञान भी कहीं हमारे अपने ही भीतर छुपा है, मैं उसकी शरण जाता हूँ।
संघ वह समूह है जो हमें इस आत्मज्ञान के पथ पर मदद करता है। हम अपनी मदद स्वयं करते हैं। हर दो व्यक्ति भी मिलकर एक संघ का निर्माण करता है अर्थात संघ का यह रत्न हमारे भीतर ही छिपा है. मैं उसकी शरण जाता हूँ।


कुल मिलकर बुद्ध ने संक्षेप में कहा की अपनी ही शरण जाओ। अपने दीपक स्वयं बनो। मैं तुम्हे सिर्फ मार्ग बताकर उसपर चलने की कला बता सकता हूँ, चलना तो तुम्हे स्वयं ही पड़ेगा। अपने तारणहार सिर्फ तुम्ही हो, सिर्फ तुम.




आज के लिए बस इतना ही। कल मैं बुद्ध के जीवन की चर्चा शुरू करूँगा। आगे चलकर हम यह भी देखेंगे की कैसे जीवन और मृत्यु , मिलना और बिछड़ना, पाना और खोना सिर्फ काल्पनिक विचार हैं। आत्मा और इश्वर के अश्तित्व और उनके न होने के भाव को भी समझेंगे। मनुष्यों के स्वाभाव को समझेंगे एवं निर्वाण की प्राप्ति के लिए साधना आरंभ करने का प्रयास करेंगे. उत्साहवर्धन के लिए कृपया अपने विचार अवश्य व्यक्त करें.
मैं आप सभी से यह निवेदन करता हूँ की कृपया इस ज्ञान को इस ब्लॉग के माध्यम से फ़ैलाने में मेरी मदद करें। इसी ज्ञान में एक नया सवेरा छुपा है, एक नया उदय छुपा है, एक सबल राष्ट्र छुपा है।

4 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. आपकी बातों से पूर्णतः सहमति है बहुत ही सार्थक एवं विचारिणी आलेख समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

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  3. सुंदर आलेख !
    बुद्ध को समझने के लिए !

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  4. इसी ज्ञान में एक नया सवेरा छुपा है, एक नया उदय छुपा है, एक सबल राष्ट्र छुपा है।
    इंतजार रहेगा अगले आलेखों का ..

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